मेरे मन की बात: क्या 1992 का घोटाला एक मिथक है?
1992 का घोटाला... आज भी यह शब्द सुनते ही कई लोगों के मन में खलबली मच जाती है। ये घोटाला, एक ऐसा दौर था जहाँ भारतीय शेयर बाजार की तस्वीर ही बदल गई थी। और इस बदलाव के केंद्र में थे हर्षद मेहता, जिन्हें 'बिग बुल' और शेयर बाजार का अमिताभ बच्चन भी कहा जाता था। 1992 का शेयर बाजार घोटाला, कुछ लोग इसे एक गंभीर अपराध मानते हैं, जबकि कुछ इसे एक मिथक या एक अतिरंजित कहानी मानते हैं। इस लेख में, हम इस विवादित मुद्दे पर गहराई से विचार करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि क्या वास्तव में 1992 का घोटाला, जैसा कि हमें बताया गया है, वैसा ही था या इसमें कोई और सच्चाई भी छिपी हुई है।
शेयर बाजार में
क्रांति: हर्षद मेहता का
उदय
हर्षद मेहता, एक ऐसा नाम जो भारतीय शेयर बाजार में क्रांति का प्रतीक बन गया। एक ऐसा समय था जब भारतीय शेयर बाजार अपनी धीमी गति के लिए जाना जाता था। यह एक कछुए की तरह रेंग रहा था। लेकिन हर्षद मेहता ने इस निष्क्रिय
बाजार को एक खरगोश की तरह दौड़ा दिया। उन्होंने शेयर बाजार को एक नया जीवन दिया, जिससे यह युवा और उत्साही निवेशकों के लिए एक आकर्षक जगह बन गया।
हर्षद मेहता ने लोगों को शेयर बाजार में निवेश करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि कैसे कम कीमत वाले शेयर भी बड़ी कमाई का जरिया बन सकते हैं। उनके नेतृत्व में,
Penny stocks रातोंरात
Large caps बन गए। जिन लोगों को शेयर बाजार की बुनियादी बातों का भी पता नहीं था, वे भी अब इसमें निवेश करने और व्यापार करने लगे थे।
"बिग बुल"
का पतन
लेकिन जैसा कि कहा जाता है, सफलता पाने वाला केवल एक व्यक्ति होता है, और उसे नीचे गिराने के लिए हजारों लोग तैयार बैठे होते हैं। ऐसा ही कुछ
"बिग बुल" के साथ हुआ, जिन्हें शेयर बाजार का अमिताभ बच्चन भी कहा जाता था। हर्षद मेहता ने शेयर बाजार में अपनी एक अलग पहचान बनाई, लेकिन उनकी सफलता कुछ लोगों को रास नहीं आई, और उन्होंने उनकी आलोचना करना शुरू कर दिया।
हर्षद मेहता पर 1992 में एक बड़े घोटाले का आरोप लगाया गया। कहा गया कि उन्होंने बैंकों से पैसे उधार लेकर शेयर बाजार में पैसा लगाया था और इस तरह से उन्होंने बाजार में कृत्रिम उछाल पैदा किया था। इन आरोपों के बाद हर्षद मेहता को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया।
क्या हर्षद मेहता वास्तव में
घोटालेबाज थे?
कानून और नियमों के अनुसार, हर्षद मेहता ने घोटाला किया था। लेकिन वास्तविकता
यह है कि इससे सभी को फायदा हुआ।
Penny stocks Large caps बन गए थे। लोग जो शेयर बाजार के बारे में नहीं जानते थे, वे भी अब शेयर बाजार में निवेश और व्यापार कर रहे थे।
हर्षद मेहता ने शेयर बाजार की काली सच्चाई को उजागर किया। उन्होंने बताया कि कैसे कुछ चुनिंदा लोग ही असली मुनाफा कमा रहे थे। उन्होंने बताया कि शेयर बाजार को कुछ मुट्ठी भर लोग ही नियंत्रित कर रहे हैं, और आम निवेशकों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
आज के
भारतीय शेयर बाजार को
हर्षद मेहता जैसे
लोगों की जरूरत है
आज, भारतीय शेयर बाजार को हर्षद मेहता जैसे और लोगों की जरूरत है, जो बिना डरे बाजार के बारे में खुलकर बात कर सकें। उन्हें उन लोगों की जरूरत है जो शेयर बाजार के अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को उजागर कर सकें। हर्षद मेहता ने जो किया, उससे हमें सिखाया कि शेयर बाजार को समझना और इसमें निवेश करने से पहले सावधानी बरतना कितना जरूरी है। उन्होंने हमें सिखाया कि बाजार में केवल कुछ लोगों के लाभ के लिए काम नहीं करना चाहिए।
अगर हर्षद मेहता आज जीवित होते, तो भारतीय शेयर बाजार दुनिया के सभी शेयर बाजारों में सबसे ऊपर होता। उनमें इतनी क्षमता थी कि वे बस एक खांसी से पूरे बाजार को हिला सकते थे। उनका प्रभाव और ज्ञान आज भी भारतीय शेयर बाजार में महसूस किया जा सकता है।
निष्कर्ष
1992 के घोटाले पर बहस जारी रहेगी। कुछ लोग हर्षद मेहता को एक अपराधी के रूप में देखेंगे, जबकि कुछ उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखेंगे जिन्होंने
शेयर बाजार में क्रांति ला दी। लेकिन एक बात निश्चित है कि हर्षद मेहता ने भारतीय शेयर बाजार पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने दिखाया कि एक व्यक्ति अपनी मेहनत और लगन से क्या हासिल कर सकता है, और यह भी दिखाया कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना कितना महत्वपूर्ण है। हमें हर्षद मेहता से सीखना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शेयर बाजार सभी के लिए समान अवसर प्रदान करे।
अतिरिक्त विचार
- यह लेख हर्षद मेहता
को एक नायक
के रूप में चित्रित करने
का प्रयास नहीं
है। यह केवल
उनके विचारों कार्यों पर एक निष्पक्ष दृष्टिकोण प्रस्तुत करने
का प्रयास है।
- यह महत्वपूर्ण है कि हम
1992 के घोटाले से सबक सीखें
और यह सुनिश्चित करें
कि भविष्य में ऐसे घोटाले
न हों।
- हमें एक ऐसे शेयर
बाजार की आवश्यकता है जो निष्पक्ष, पारदर्शी और सभी के लिए सुलभ
हो।
इस लेख को लिखने का उद्देश्य यह है कि हम एक खुले और ईमानदार बहस को बढ़ावा दें जो हमें 1992 के घोटाले की सच्चाई को समझने में मदद करे। यह महत्वपूर्ण
है कि हम इतिहास से सीखें ताकि हम भविष्य में बेहतर निर्णय ले सकें।
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